बुधवार, 12 जून 2024

नीचे बिछा दो बोरियाँ [गीतिका ]

 264/2024

          

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नीचे    बिछा    दो    बोरियाँ,

माँ     गा   रही   है   लोरियाँ।


तप    पालना   संतति     महा,

सब    जानती    हैं     गोरियाँ।


संतान    का    दायित्व     है,

बोले   न   दारुण    बोलियाँ।


संतान   के   हित   ही   जिएँ,

करतीं    न   जननी   चोरियाँ।


खाली   न   होतीं   एक  पल,

जननी-जनक  की  झोलियाँ।


अनुकरण   से    ही   सीखतीं,

माँ     की      लड़ैती   पुत्रियाँ।


आओ  'शुभम्' नर   हम    बनें,

संतान     की   शुचि  ओलियाँ।


शुभमस्तु !


10.06.2024● 4.15आ० मा०

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