गुरुवार, 3 अक्तूबर 2024

सत्याग्रह धारण करें [ दोहा ]

 452/2024

         

[सत्य,अहिंसा,सत्याग्रह,सादगी,शांति]


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

 

                   सब में एक

मात्र    ईश    ही सत्य है, आभासी    संसार।

सत्याश्रय  में जो जिया,मिलती शांति अपार।।

सदा सत्य शाश्वत  यहाँ,शेष सकल भ्रमजाल।

माया ग्रसती जीव को, विविध रूप दे   ताल।।


हिंसा    चारों    ओर   है,   सत्यशील   बेचैन।

क्यों न अहिंसा विश्व में, बढ़े  नहीं   दिन-रैन??

प्रबल अहिंसा मंत्र का, जंगल  में क्या   काम!

शठ  से  शठता  ही   सही, तभी बचाएँ    राम।।


शठ   शठता  तजता नहीं, सत्याग्रह है   व्यर्थ।

उठा  शस्त्र  अब  लीजिए, बनें  नहीं असमर्थ।।

सत्याग्रह  से   हिंस्र  का,  बदले नहीं  विचार।

जैसे   को   तैसा    करें,  रखना नहीं  उधार।।


सदा  सादगी  श्रेष्ठ  है, रखना उच्च    विचार।

 जतलाओ मत ढोंग कर , तुम ही हो करतार।।

अपनाए   जो  सादगी, करता कर्म    महान।

सूरज - सा  चमके  यहाँ, करके  तेज  प्रदान।।


सबके   ही  मन  में यही, सुंदर  सुहृद स्वभाव।

परम शांति  उर  में  बसे, बने न कोई   घाव।।

जीते  - जीते  जी  गया,  जीवन   रहा   अशांत।

शांति मिली पल को नहीं,भटक रहा जन भ्रांत।।


                  एक में सब

सत्य  अहिंसा  सादगी,और चाहिए   शांति।

सत्याग्रह धारण   करें,तजें जगत की  भ्रांति।।


शुभमस्तु !


02.10.2024●6.00आ०मा० 

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