469/2024
समांत :आस
पदांत : चहिए
मात्राभार : 16.
मात्रा पतन : शून्य।
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
गदहों को बस घास चाहिए।
और नहीं कुछ खास चाहिए।।
दुल्हन को मिल जाए दुल्हा।
ननद न कोई सास चाहिए।।
श्याम पुकारें श्यामा - श्यामा।
निधिवन में नित रास चाहिए।।
तारे छिटक रहे अंबर में।
निशि को दुग्ध उजास चाहिए।।
गुरु से ज्ञान मिले शिष्यों को।
स्वामिभक्त हो दास चाहिए।।
नीड़ चील का रिक्त न रहता।
माँस मिले विश्वास चाहिए।।
कविता सरस भाव वाली हो।
यमक श्लेष अनुप्रास चाहिए।।
शुभमस्तु !
13.10.2024●10.15प०मा०
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