बुधवार, 16 अक्तूबर 2024

और नहीं कुछ खास चाहिए [सजल ]

 469/2024

    

समांत       :आस

पदांत        : चहिए

मात्राभार    : 16.

मात्रा पतन  : शून्य।


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गदहों  को    बस     घास   चाहिए।

और नहीं    कुछ    खास   चाहिए।।


दुल्हन    को     मिल   जाए  दुल्हा।

ननद  न    कोई     सास   चाहिए।।


श्याम     पुकारें     श्यामा - श्यामा।

निधिवन  में    नित  रास  चाहिए।।


तारे       छिटक      रहे   अंबर  में।

निशि  को दुग्ध  उजास    चाहिए।।


गुरु  से  ज्ञान    मिले    शिष्यों को।

स्वामिभक्त     हो   दास   चाहिए।।


नीड़  चील    का   रिक्त  न  रहता।

माँस     मिले    विश्वास    चाहिए।।


कविता  सरस   भाव    वाली   हो।

यमक  श्लेष      अनुप्रास  चाहिए।।


शुभमस्तु !


13.10.2024●10.15प०मा०

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