481/2024
©शब्दकार
डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आलिंगन में
भर लेने को
आतुर सागर सोम धवल।
पूनम की
उजियारी रजनी
सागर व्याकुल बाँहें खोल।
अति हर्षित
उत्ताल भर रहा
करता रोर भरे किल्लोल।।
भर स्मित
झुककर विनीत हो
आनन पर खिल रहे कमल।
श्यामा निशा
पहन सित साड़ी
उत्फुल्लित चंदा के संग।
करवा चौथ
मनाने का ढब
बरस रहे हैं नूतन रंग।।
अर्घ्य दे रही है
शुभ रजनी
भाग्य उठे हैं जाग प्रबल।
सागर पिता
पुत्र विधु प्यारा
उन्नति से क्यों हर्ष न हो!
उधर तिया को
पाकर पूनम
मन में उठती लहर अहो!!
'शुभम्' चतुर्थी
के दिन पूजा
होगी शशि की मौन सजल।
शुभमस्तु !
22.10.2024●9.00आ०मा०
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