रविवार, 6 अक्तूबर 2024

देवित्व बनाम देवत्व! [ अतुकांतिका ]

 454/2024

           


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


माना तुम्हें देवी हमने!

पर सास क्यों देवी नहीं है?

ननद क्यों आनन्द में

पत्थर पटकती?

देवित्व को

 क्यों कर विनसती?


आग में बहुएँ  जलातीं

कौन - सी देवी बताएँ!

ससुर को वृद्ध आश्रम भेजतीं

सबको जताएँ! 

सास को भी पीटतीं

अनुदिन सताएँ,

वे देवियाँ हैं कौन सी

जग को दिखाएँ !


जींस में तन को दिखाती

देवियाँ हैं?

हाई हील में हिलती

हुमसतीं  टोलियाँ हैं!

बदलती भाषा

नारी - अभिव्यक्ति की

देवियों की फ़र्फ़राती

परिभाषिकाएँ ?


वे देवियाँ 

किस ओर हैं

जो पूजनीया!

वे देवियाँ 

किस रूप में

जो वन्दनीया !

तैयार हैं हम

नत मस्तक हो जाएँ उनसे।


देवता तुम !

बहन भी देवी तुम्हारी!

किंतु दूजी अन्य  पर

है बुरी काली नजरें तुम्हारी?


प्रश्न कितने हैं 'शुभम्'

पहले मनुष्य रह लो,

मर गया देवत्व नर का,

मर गया देवित्व उनका,

क्यों वृथा ही कर रहे

मिथ्या महिमा मंडन

स्वयं ही नारियों का

और नर का!


शुभमस्तु !


03.10.2024●4.00प०मा०

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