बुधवार, 16 अक्तूबर 2024

रावण को जिंदा रखना है [ गीत ]

 468/2024

      

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


रावण को

जिंदा रखना है

फिर अगले साल जलाने को।


रहने हैं

अत्याचार सभी

व्यभिचार बंद मत करना तुम।

मत बलात्कार भी

बंद करो

अलगाववाद नाचे  छुम - छुम।।

वे पात्र

खोजते  रहना है

जनता को नित्य सताने को।


रावण यदि

होता नहीं यहाँ

रामों   की  पूछ नहीं होती।

कुचले बिन

सीपी का अंतर

मिलते न हमें सुथरे मोती।।

रावण ही

रावण जला रहे

सत्तासन को हथियाने को।


घर -घर रावण

दर-दर रावण

मत राम-लखन को खोज यहाँ।

रामत्व नाम तो

नारा है 

मत   त्रेता   ढूँढ़ें   यहाँ - वहाँ।।

सीताओं में

सत शेष कहाँ 

सासें घर में लतियाने को।


शुभमस्तु !


13.10.2024●12.15अपराह्न

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