62/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्
अपने दीपक आप हो,करो जगत उजियार।
जीवन को उज्ज्वल करो,प्रथम करें सुविचार।।
ध्यान सदा ही लक्ष्य पर,रखें, न करना चूक।
चक्षु खोल निज ज्ञान के,चले युवा बन मूक।।
हार न मानें राह में, करते रहें प्रयास।
एक दिवस होगा प्रबल, जीवन भरा उजास।।
मात- पिता गुरु की करें, सेवा भक्ति अपार।
शुभाशीष तब फलित हो,दिन दूना निशि चार।।
धृति को कभी न छोड़ना, स्वावलंब आधार।
युवा शक्ति सुदृढ़ रहे, सुलभ जगत का प्यार।।
शिव गौरी आदर्श हों, वीर वृती हनुमान।
राम कृष्ण को जानिए,अतुलित वीर महान।।
संत विवेकानंद का, आज अमर आदर्श।
प्रेरक तेरा है युवा, करके देख विमर्श।।
आत्मनियंत्रण निष्ठता, एकनिष्ठ सत प्रेम।
रखें आत्मविश्वास भी, चमकेंगे ज्यों हेम।।
पिछलग्गू बनना नहीं, नेताओं के आप।
दृढ़ निश्चय धारण करें, मिटते सब संताप।।
पहचानें निज शक्ति को,अंतर में है वास।
प्रेरक हैं गुरु आपके, करें नहीं उपहास।।
भारत माँ की भक्ति का,रक्षा का ले भार।
'शुभम्' योनि मनुजात की,सार्थक करें अपार।।
शुभमस्तु !
09.10.2024● 6.00आ०मा०
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[10:09 am, 9/10/2024] DR BHAGWAT SWAROOP:
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