सोमवार, 14 नवंबर 2022

त्रिफला से कायाकल्प 🧋 [ दोहा ]

 473/2022


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✍️ शब्दकार ©

🧋 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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चूरन त्रिफला लीजिए,ऋतुओं के   अनुसार।

उदर  रोग  नासें सभी,शेष न रहे   विकार।।

अपना जितना भार हो,कर उसके दस भाग।

मात्रा उतने  ग्राम की, लें प्रातः उठ    जाग।।


भोजन से नित पूर्व ही,या भोजन के  बाद।

आधे  घण्टे  तक नहीं,कुछ भी  लेना स्वाद।।

सावन-भादों मास में,सेंधा लवण मिलाय।

सेवन त्रिफला का करें,चीखे उदर न  हाय।।


क्वार-कार्तिक मास हो,तब लें चीनी डाल।

चूर्ण   त्रिफला  लीजिए,उदर न हो  बेहाल।।

मार्गशीर्ष या पौष में,मिला सौंठ का  चूर्ण।

सेवन त्रिफला का करें,उदर- कामना   पूर्ण।।


चूर्ण पिप्पली का मिला, लें त्रिफला के संग।

आएँ फागुन - माघ जो,रहे न  पीर - तरंग।।

ऋतु हो जब मधुमास की,चैत्र सुहृद वैशाख

मधु के सँग सेवन करें,मात्र चार शुभ पाख।।


गुड़ सँग त्रिफला चूर्ण हो,लेना ज्येष्ठ अषाढ़।

होगा कायाकल्प तव, निद्रा सुखद प्रगाढ़।।

उदर  गेह  हर  रोग   का, घर बैठे   उपचार।

त्रिफला नित सेवन करें,कायाकल्प अपार।


पेशी - पेशी   शीश  की, होती  है   मजबूत।

त्रिफला से हो केश का,रोम- रोम अभिभूत।।

तीन फलों का योग है, त्रिफला  जानें  मीत।

हरड़, बहेड़ा,आँवला,उदर रोग  को  जीत।।


🪴 शुभमस्तु !


13.11.2022◆5.45 पतनम मार्तण्डस्य।


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