487/2022
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✍️ शब्दकार ©
🏺 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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बिगड़ जातीं छोरियाँ क्यों ?
चरित की कमजोरियाँ क्यों??
वासना का भेड़िया नर,
अज्ञता वश नारियाँ क्यों?
लग रहे परिजन पराए,
बहक जातीं गोरियाँ क्यों?
मानते हम नारि भारी,
छोड़ देतीं पौरियाँ क्यों?
कीट पड़ते मात्र छूकर,
सड़ रहीं ये मटकियाँ क्यों?
बात बस आचार की है,
छलकती हैं गगरियाँ क्यों?
'शुभम्' कदमों को सँभालें,
भटकतीं ये बारियाँ क्यों?
🪴शुभमस्तु !
21.11.2022◆6.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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