502/2022
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✍️ शब्दकार ©
⛳ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मीत न करना टालमटोली।
नहीं भरेगी सुख से झोली।।
काम समय पर ही निबटाएँ।
सुखद सफलता का सुख पाएँ।।
टालमटोली जो करते हैं।
मुख दिखलाने में डरते हैं।।
वे न प्रगति - पथ पर चल पाते।
औरों को लख सदा लजाते।।
चुरा रहे जो श्रम से जी को।
पछताते अपनी करनी को।।
टालमटोली घातक होती।
बनते नहीं सीप में मोती।।
तन - मन से जो श्रम करता है।
सुख का वह सागर भरता है।।
टालमटोली पथ का काँटा।
लगता असफलता का चाँटा।।
साहस श्रम से जीते चोटी।
पर्वत पर पिपीलिका छोटी।।
गिर - उठ , गिर - उठ ऊपर जाती।
टालमटोली नहीं दिखाती।।
टालमटोली सैनिक करते।
नहीं विजय - ध्वज कभी फहरते।।
जो किसान श्रम से कतराता।
पैदा अन्न नहीं कर पाता।।
छात्रों ने की टालमटोली।
अंक मिले कंचे की गोली।।
मन से शिक्षक नहीं पढ़ाता।
जन - समाज उसको लतियाता।।
'शुभम्' भक्ति , सेवा , सत शिक्षा।
मिलते नहीं माँग कर भिक्षा।।
छोड़ें जन - जन टालमटोली।
मने सुखद दीवाली होली।।
🪴शुभमस्तु !
28.11.2022◆11.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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