बुधवार, 30 नवंबर 2022

धमकी 🎖️ [ दोहा ]

 503/2022

        

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✍️ शब्दकार©

🎖️ डॉ. भगवत स्वरूप। 'शुभम्'

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धमकी  से  डरते  नहीं, भारत के  प्रणवीर।

ले साहस की लेखनी,लिखते वे  तकदीर।।


कायर की पहचान है,धमकी धौंस बबाल।

लड़ते  हैं  वे  शत्रु से,गले न उनकी  दाल।।


एक  पड़ौसी  देश  का,बस धमकी  में लीन।

लिए  कटोरा  हाथ  में,चाहे धरती    छीन।।


धमकी  से  कश्मीर का,छीन न पाए   बाल।

पाक  दृष्टि  नापाक है,वीर हिंद  के   लाल।।


धमकी देकर राम  को,जीता क्या  दसशीश?

सेना वानर  वीर  की,ले  चढ़ लड़े  कपीश।।


शक्ति नहीं भुजबल नहीं,धमकी से कर बात।

करता है भयभीत अरि, प्रतिबल पर आघात


उन्हें कहाँ अवकाश है,साहस शक्ति  अपार।

धमकी  दें  वे  शत्रु को,करते मौन   प्रहार।।


व्यर्थ  बात करते नहीं,धमकी से  नित दूर।

होते  जो  रणबाँकुरे,  साहस से    भरपूर।।


अपनी  धरती  देश  से,हमें सदा  से प्यार।

धमकी से  डरते  नहीं,लाते शीश   उतार।।


धुँआ धौंस धमकी नहीं, हो प्रतिपक्षी वीर।

कायर से लड़ते नहीं,हम भारत के   धीर।।


'शुभम्'शक्ति अर्जित करें,साहस भरें अपार।

चढ़ दुश्मन के शीश पर,धमकी बिना प्रहार।।


🪴शुभमस्तु!


29.11.2022◆9.30 पतनम मार्तण्डस्य।

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