सोमवार, 7 नवंबर 2022

धन -ऋण महिमा वाली नारी! 🪷 [ गीतिका ]

 470/2022


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 ✍️शब्दकार ©

🏵️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्' 

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अद्भुत     रचना    है       नित  नारी।

नर    से   सदा      रही     वह  भारी।।


मानवता        का         पाठ  पढ़ाती,

जन  - जन  को   नित     ही हितकारी।


नारी     को    मत       अबला  कहना,

होती         वह        देवी    अवतारी।


नारी       बिना      न       पूरा  कोई,

संतति      की     वह    आभा  सारी।


पर्वत     उष्ण      पुरुष    यदि   होता,

नारी          कोमल       मृदु   आचारी।


नारी        का     हर     चरण सुपावन,

घर         की    सदा     फूलती   बारी।


'शुभम्'        रूप       नारी   के   सारे,

धन -  ऋण    महिमा   की अधिकारी।


🪴शुभमस्तु !


07.11.2022◆6.15 आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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