491/2022
■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■
✍️ शब्दकार ©
🖊️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■
तात किस तरह लिखते कविता।
हमें बहुत प्रिय लगती कविता।।
बैठे रहते लिए लेखनी,
कैसे रच जाती है कविता।
शब्दावली जोड़ते कैसे,
मिनटों में बन जाती कविता।
कैसे छंद, ताल, लय आते,
गा - गा उठती प्यारी कविता।
दोहा , गीत, छंद , कुंडलिया,
ग़ज़ल, गीतिका , रोला , कविता।
छंदों को पिंगल भी कहते,
सबके मन को भाती कविता।
गिन - गिन मात्रा वर्ण सजाते,
सज बज तब उठती हर कविता।
'शुभम्' छंद में लघु गुरु होते,
हो विधान सम्मत जो कविता।
🪴शुभमस्तु !
22.11.2022◆2.00
पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें