116/2023
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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वचन - शक्ति की महिमा भारी।
कवि की खिलती कविता- क्यारी।।
वचन - सुगन्ध जहाँ भी जाए।
यहाँ वहाँ सबको महकाए।।
वचन बाणवत जिनके होते।
उनके भाग्य सदा ही सोते।।
हो विनम्र बोलें प्रिय वाणी।
होगी सदा मनुज - कल्याणी।।
नहीं वचन बोलें कटु गुरु से।
अपने ज्येष्ठ मातु पितुवर से।।
कोकिल वचन सुहाए सबको।
मोर लुभाते प्रति जन घन को।।
सत्य वचन आनन से बोले।
संग नेह - रस भी जो घोले।।
सबको ही आकर्षित करता।
घड़ा प्रेम - रस से वह भरता।।
वचन तीर है वचन सुमन भी।
जहर घोलते गर्वित दंभी।।
प्रिय वाणी ने जग को जीता।
भरता वचन नेह - घट रीता।।
वचन बताते कोकिल कागा।
कर्कश या सुमधुर अनुरागा।।
दूती शुभ वसंत की आती।
वचन - सुधा से जग महकाती।।
वचनों से हो मनुज - परीक्षा।
नारी भी ले यही सदिक्षा।।
'शुभम्' वचन ने जनगण जीता।
योगेश्वर की कहती गीता।
🪴 शुभमस्तु !
13.03.2023◆2.30 प.मा.
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