सोमवार, 13 मार्च 2023

वचन 🪷 [ चौपाई ]

 116/2023

            

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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वचन - शक्ति     की  महिमा भारी।

कवि की  खिलती  कविता- क्यारी।।

वचन  -   सुगन्ध   जहाँ    भी जाए।

यहाँ       वहाँ       सबको महकाए।।


वचन      बाणवत      जिनके  होते।

उनके     भाग्य      सदा     ही सोते।।

हो      विनम्र     बोलें     प्रिय  वाणी।

होगी     सदा      मनुज - कल्याणी।।


नहीं      वचन     बोलें   कटु   गुरु  से।

अपने   ज्येष्ठ     मातु   पितुवर     से।।

कोकिल      वचन      सुहाए  सबको।

मोर    लुभाते    प्रति     जन  घन को।।


सत्य        वचन    आनन   से  बोले।

संग       नेह -  रस     भी  जो घोले।।

सबको          ही    आकर्षित  करता।

घड़ा       प्रेम - रस     से  वह भरता।।


वचन   तीर   है     वचन सुमन    भी।

जहर        घोलते        गर्वित   दंभी।।

प्रिय     वाणी   ने     जग   को  जीता।

भरता        वचन      नेह -  घट रीता।।


वचन          बताते     कोकिल  कागा।

कर्कश         या      सुमधुर  अनुरागा।।

दूती        शुभ      वसंत   की आती।

वचन     -  सुधा     से   जग महकाती।।


वचनों      से     हो    मनुज - परीक्षा।

नारी      भी       ले      यही सदिक्षा।।

'शुभम्'    वचन   ने    जनगण जीता।

योगेश्वर         की        कहती   गीता।


🪴 शुभमस्तु !


13.03.2023◆2.30 प.मा.

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