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✍️ शब्दकार ©
🛕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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चैत्र शुक्ल नवमी बुधवारा।
लिया राम अवनी अवतारा।।
त्रेतायुग की कथा पावनी।
राजा दशरथ दुःख - दाहनी।।
पुरी अयोध्या धाम- कहानी।
नित नवीन होती न पुरानी।।
पापी बढ़े दनुज अति भारी।
आए विष्णु रूप अवतारी।।
लखन शत्रुघ्न भरत सँग आए।
त्रय जननी के भाग सुहाए।।
जनक - सुता भू - जाई सीता।
बनी राम की शुभ परिणीता।।
समय-चक्र विधि का था लेखा।
जाना नहीं किसी ने देखा।।
सीता - हरण मरण रावण का।
लिखा नियति ने था तृण-तृण का।।
हैं आराध्य राम प्रिय मेरे।
हरते पल में दुःख घनेरे।।
'शुभम्' राम-सिय महिमा गाता।
सत्कर्मों की लगन दिलाता।।
🪴 शुभमस्तु !
27.03.2023◆ 10.15 आ.मा.
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