सोमवार, 27 मार्च 2023

मेरा भारत देश 🇮🇳 [ दोहा गीतिका ]

 124/2023

 

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✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मेरा  भारत  देश  है ,जगती  में  मणि  एक।

भारतवासी धन्य हैं, रहते मिल सविवेक।।


विविध  रंग बहु वेश में,करते मनुज निवास,

मंत्र  राष्ट्र   की  एकता ,उर में भाव   अनेक।


भाषाएँ  कन्नड़,  तमिल,बँगला सह  बाईस,

 हिंदी  ही  सिरमौर है, प्रांत-प्रांत  अतिरेक।


वैदिक  भाषा  में  लिखे, अपने   चारों  वेद,

विविध  ज्ञान -भंडार  के,बने स्रोत   वे  नेक।


सब  भाषाओं की रही,जननी संस्कृत मीत,

वृहत शब्द-भंडार  का,नहीं कहीं व्यतिरेक।


गंगा,  यमुना,  सरस्वती,  नदी नर्मदा    धार,

धरती  को  पावन करें, नित्य सदा अभिषेक।


उत्तर में हिमगिरि खड़ा,प्रहरी बन दिन-रात,

विंध्य, सतपुड़ा, नीलगिरि,देव- रूप प्रत्येक।


होली , दीवाली   सभी, भारत के    त्योहार,

भारतवासी  गा   रहे,गीत लगा   नव  टेक।


'शुभम्'  वीर  रणबाँकुरे, सीमा पर   सन्नद्ध,

अरिदल  से  रक्षा  करें,नहीं मेह  के  भेक।


🪴शुभमस्तु !


20.03.2023◆9.00आ.मा.

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