सोमवार, 27 मार्च 2023

नव संवत्सर 🚩 [ दोहा ]

 129/2023

 

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✍️ शब्दकार ©

🚩 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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वासंती वेला  'शुभम्',  नव संवत्सर  आज।

सुमन सजे कलियाँ खिलीं,आए हैं ऋतुराज।

चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, नव संवत्सर मीत।

आया भारतवर्ष में,फिर से दिवस   पुनीत।।


नव संवत्सर की कथा,सतयुग से चल आज।

चली आ रही देश में,नवल सृष्टि का साज।।

नव संवत्सर की घड़ी,नवमी तिथि को राम।

हुए अवतरित भूमि पर,शुभ साकेत ललाम।


नव संवत्सर का प्रथम,मास चैत्र शुभ मीत।

विक्रम संवत आगमित,राजा बुध सह प्रीत।

नव संवत्सर  नाम नल,मंत्री शुक्र  अभीत।

राजा बुध शासित प्रजा, गाएगी  शुभ गीत।।


नव   संवत्सर  आज जो,दिया विक्रमादित्य।

है सटीक गणना'शुभं',क्षण-क्षण का औचित्य

नव संवत्सर  आज से, हिन्दू का   नव  वर्ष।

हैं  प्रसन्न नर नारियाँ,  करना नित   उत्कर्ष।।


'तमसो मा ज्योतिर्गमय,'यही एक आधार।

नव संवत्सर में  यही,  अपनाया   साकार।।

पूर्णसृष्टि प्रारंभ का,प्रथम दिवस शुभ आज।

सतयुग से आया चला,करते हैं हम नाज।।


माँ  दुर्गा    की  अर्चना, पूजा कर   संपन्न।

नौ दिन कर आराधना,कर लें चित्त प्रसन्न।।


🪴शुभमस्तु !


22.03.2023◆3.450प.मा.

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