117/2023
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✍️ शब्दकार ©
💁🏻♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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आओ खेलें नेता - नेता।
बनकर कुर्सी - वीर विजेता।।
चिकनी- चुपड़ी बातें करके।
नोट कमाएँ कमरे भरके।।
नेता बस आश्वासन देता।
आओ खेलें नेता - नेता।।
सीखें पहले देना भाषण।
जनता में आए आकर्षण।।
ज्यों मादा खग अंडे सेता।
आओ खेलें नेता - नेता।।
श्वेत बगबगे कपड़े धारें।
मन में पैनी छिपा कटारें।।
बनें देश - निर्माण - प्रणेता।
आओ खेलें नेता - नेता।।
आपस में जन- जन लड़वाएँ।
स्वयं न्याय को आगे आएँ।।
अधिकारी को शिक्षा देता।
आओ खेलें नेता - नेता।।
सब थैली के चट्टे -बट्टे।
एक पहाड़ा ही सब रट्टे।।
नहीं नाव जनता की खेता।
आओ खेलें नेता - नेता।।
फेंको ज्यों चिड़िया को दाना।
उन्हें जाल में डाल फँसाना।।
भैंस सहित खोया कर लेता।
आओ खेलें नेता - नेता।।
🪴शुभमस्तु !
14.03.2023◆ 4.15आ.मा.
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