सोमवार, 6 मार्च 2023

मर्म पाहन के बने हैं!🌾 [मुक्तक ]

 106/2023

 

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कर्तव्य -  पथ  चलना न जाने,

जो   करे   वह   सत्य    माने,

धर्म -अधर्म की    वीथियों  में,

हेकड़ी  के      तीर    ताने।1।


अधिकार  की लड़ता  लड़ाई,

कर्तव्य  से   हिंसक    कसाई,

धर्म -अधर्म चिंतन वृथा फिर,

नाप निज ऊँचाई -निचाई।2। 


मर्म    पाहन    के    बने    हैं,

गर्व   में      ऊँचे     तने     हैं, 

धर्म -अधर्म -  व्याख्या बताते,

अघ-ओघ में लिथड़े सने हैं।3।


गेरुआ    तन    पर    फहरता,

देह पर ध्वज -   सा   लहरता,

पेट      भरता    भाषणों    से,

धर्म-अधर्म क्या औऱ करता?4।


जानते  सब    धर्म    क्या  है?

मानते     दुष्कर्म    क्या    है?

धर्म -अधर्म का    जाल भारी,

जानता  सत्कर्म  क्या   है?5।


🪴शुभमस्तु !


06.03.2023◆11.45 आ.मा.

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