बुधवार, 1 मार्च 2023

लोचन उर के खोल ☘️ [ दोहा ]

 96/2023

 

[सुकुमार,राधिका,उपवास,लोचन, मिठास]

■●■●■●■●■●■●■●■●■●

✍️ शब्दकार ©

🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

■●■●■●■●■◆■●■●■●■●

    🍁 सब में एक 🍁

तीनों ही सुकुमार थे,लक्ष्मण, सीता, राम।

घड़ी बुरी वनवास की,त्याग दिए धन-धाम।

सीता  बोलीं  राम से,  हम तीनों सुकुमार।

मैं अनुगामिनि आपकी,करना नहीं विचार।


बरसाने से राधिका,चलीं श्याम की ओर।

होली खेलें रंग से,  हुआ  अभी  था  भोर।

निधिवन में सँग राधिका,श्याम रचाते रास।

खुली  चाँदनी रात में,उर मिलते  दो  पास।


नियम भंग करना नहीं,जब करना उपवास।

ध्यान  लगाना इष्ट  में,ज्यों  बैठे  प्रभु  पास।

व्रत लेकर प्रभु-भक्ति का,भक्त करें उपवास।

शुभ दिन मंगलवार का,वे हनुमत के दास।


लोचन यद्यपि बंद हैं,देख रही  प्रिय  रूप।

विरहिन बाट निहारती,कब आएँ   उर-भूप।

लोचन उर के खोल ले,अंतर  के  हे  मीत।

प्रभु-दर्शन   होंगे  अभी, लेगा जीवन  जीत।


कपट, द्वेष, दुर्भाव में,रहती नहीं  मिठास।

निर्मल हृदय विचार ले,रखे अटल  विश्वास।

एक  साथ रहते नहीं,कटुता संग मिठास।

मानव  को रोटी रुचे,चरता है हय घास।।


       🍁 एक में सब 🍁

दो लोचन सुकुमार हैं,

                      उर राधिका मिठास।

श्याम संग युग- युग मिले,

                        आजीवन उपवास।।


🪴शुभमस्तु !


01.03.2023◆ 6.00 आरोहणम् मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...