बुधवार, 8 मार्च 2023

रंग फाग का छा गया 🎊 [ दोहा ]

 109/2023


[होली, फाग,रंग,अबीर,गुलाल]

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✍️ शब्दकार ©

🪂 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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         🪂 सब में एक  🪂

डफ ढोलक बजने  लगे,संग दे   रही  चंग।

होली खेलें गोपियाँ,  बरसातीं   नव   रंग।।

होली आई   साँवरे,  हुआ  रँगीला     भोर।

होती   वर्षा   रंग   की, गली- गली में  शोर।।


फाग खेलने के लिए, निकले    नंदकिशोर।

संग सुघर ब्रज  गोपियाँ, मचा रही  हैं   रोर।।

फाग बिना होली नहीं,बरसे   रंग   गुलाल।

धू-धू कर होली जले,आ प्रिय आखत डाल।।


कर  में    पिचकारी लिए,बरसातीं   बहु रंग।

खड़ी  छतों  पर  गोपियाँ,गोप बजाते  चंग।।

रंग - बिरंगे   हो  गए, मुखड़े   पीले    लाल।

कपड़े   फाड़े   नाचते, करते गोप  धमाल।।


आपस में मिलते गले,मलते भाल  अबीर।

कोई पीटे ढोल डफ,गाते मधुर    कबीर।।

रंग लगाया   प्रेम   से ,  गाया फ़ाग   कबीर।

ले दल बल टोली चली, उड़ती धूल अबीर।।


गोरी   तेरे   गाल  हैं,  खिलते लाल गुलाल।

लाल  रंग खिलता  नहीं,चंदन जैसा  भाल।।

एड़ी लाल गुलाल- सी,पाटल दल-से गाल।

नाचे  गोरी  रंग  ले, करती  खूब  धमाल।।

 

        🪂  एक में सब 🪂

रंग फाग का छा गया, बरसे विरल अबीर।

होली सजी गुलाल से,गाते  गोप  कबीर।।


🪴 शुभमस्तु !


08.03.2023◆6.15आ.मा.


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