सोमवार, 27 मार्च 2023

नहीं किसी के साथ अनय हो 🚩 [ गीतिका ]

 133/2023


■●■●■●■●■●■●■●■●■●

✍️ शब्दकार ©

🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

■●■●■●■●■●■●■●■●■●

नहीं    किसी      के   साथ   अनय   हो।

मानव,       मानव     से     निर्भय   हो।।


चोरी       कर       अपना      घर     भरते,

चोरों    के      घर     क्यों    संचय     हो?


हो     गीतों        में     ताल ,  छंद ,   स्वर,

सँग     प्रवाह   के    सुमधुर   लय      हो।


रत           हों      मानवीय      कर्मों      में,

शांतिपूर्ण           जीवन    सुखमय       हो।


मनसा           वाचा          और      कर्मणा ,

अघ    -   ओघों      का    नहीं    उदय   हो।


यदि        जीवन      हो     सदा   संयमित,

दीर्घ      स्वस्थ    मानव    की  वय      हो।


'शुभम्'      कर्म       ही    साथ     निभाते,

जन्म     -    जन्म  वह फल अक्षय     हो।


🪴शुभमस्तु !


26.03.2023◆10.45पतनम मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...