131/2023
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✍️शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
सीमा पर प्रहरी खड़ा,हिमगिरि तुंग महान।
रक्षक भारत का बना,अमर दिव्य पहचान।।
अमर दिव्य पहचान,रात दिन जाग रहा है।
मेघों की दीवार,तुहिन में नित्य नहा है।।
'शुभम्'छुआ आकाश,बढ़ा वह धीमा-धीमा।
मौन धीर गंभीर, देश की सुदृढ़ सीमा।।
-2-
सीमा पर प्रहरी बने,खड़े वीर दिन - रात।
जागरूक सन्नद्ध हैं, वर्ण न कोई जात।।
वर्ण न कोई जात, त्याग घर,भगिनी, दारा।
संतति के प्रति नेह, पिता का बेटा प्यारा।।
'शुभम्'लिखा क्या नाम,देश-रक्षा का बीमा।
खेलें होली खून, डटे भारत की सीमा।।
-3-
प्रहरी का दायित्व ही,विकट विषम अतिभार
प्राणों की बाजी लगा,सहता कष्ट अपार।।
सहता कष्ट अपार, जागते ही रहना है।
आता जो भी द्वार,नहीं कुछ कटु कहना है।।
'शुभम्' कार्य के साथ,आस्था रहती गहरी।
नहीं सभी का काम,बने जो कर्मठ प्रहरी।।
-4-
प्रहरी हैं परिवार के, माता पिता बुजुर्ग।
निर्भय हो संतति रहे,निर्भय हो गृहदुर्ग।।
निर्भय हो गृहदुर्ग, मिटें दुश्चिंता सारी।
करे न साहस चोर,सभी हों सदा सुखारी।।
'शुभम्' गूँजती तान,गान की मधुरिम लहरी।
निभा रहे कर्त्तव्य, धाम के पावन प्रहरी।।
-5-
आओ अपने देश के,प्रहरी बन हम आप।
साँपों से रक्षा करें, बने हुए जो शाप।।
बने हुए जो शाप , कुचल दें फन वे सारे।
डंसते जो दिन-रात ,मित्र बनकर बजमारे।।
'शुभं'न क्षण की देर,जागकर उन्हें मिटाओ।
हिंद देश का मान, बढ़ाएँ प्यारे आओ।।
🪴शुभमस्तु !
24.03.2023◆2.00पतनम मार्तण्डस्य।
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