सोमवार, 6 मार्च 2023

रंग-बिरंगी होली🎊 [ चौपाई ]

 107/2023

  

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✍️ शब्दकार ©

🎊 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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रंग -बिरंगी   आई   होली।

धूम मचाती ब्रज में टोली।।

लठामार  कोई   रँग खेले।

लाठी वार देह   पर झेले।।


लाल     रंग   में   टेसू   फूले।

भौंरे पुष्प -शाख   पर  झूले।।

रंग श्याम  में   कोयल   राती।

कुहू -कुहू सुमधुर स्वर गाती।।


गेंदा   पाटल    रंग    सुहाया।

नर- नारी के  मन को भाया।।

चंग ढोल   करताल    बजाते।

मस्त रंग  में  जन    मदमाते।।


काला काजल भाभी लाती।

देवर जी के नयन सजाती।।

पाँव  महावर क्यों वह भूले?

भावज पाँव विनत हो छूले।।


रंग भरा गुझिया   में  उसने।

थू- थू करता खाया जिसने।।

लाल हरी  पीली   पनिहारी।

नाच रहीं आँगन  में   नारी।।


एक   हुरंगा  घर  में   आया।

कपड़े फाड़ रंग    बरसाया।।

छिपी घरों में भाभी  साली।

बहीं रंग भर -भर कर नाली।।


'शुभम्' रंग का पर्व निराला।

 भेद मिटाता   गोरा काला।।

आओ गले मिलें   सब भाई।

अमर सुदामा-कृष्ण मिताई।।


🪴शुभमस्तु !


06.03.2023◆3.00प.मा.

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