मंगलवार, 13 जुलाई 2021

मछली को ज़ुकाम🩺🐟 [बाल कविता ]


◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

✍️शब्दकार ©

🐟 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

मछली को जब हुआ ज़ुकाम।

जा पहुँची  डाक्टर के  धाम।।


डाक्टर बोला  'मछली रानी।

बतलाओ निज रोग कहानी।।'


मछली   बोली   'मैं   बीमार।

खाँसी  हुई   ज़ुकाम  अपार।।


सुई   नहीं  मुझको  लगवानी।

मुझको तो बस औषधि खानी'


'औषधि  यही  धूप में  जाओ।

नदी किनारे   लोट  लगाओ।।


गहरे   जल   में नहीं  नहाना।

तैर सतह   पर  पूँछ उठाना।।


जब हो  रात   किनारे  जाना।

उछल-कूद कर रात बिताना।।


दो  दिन   में   होगी    नीरोग।

'शुभम' बहुत  है इतना योग।।'


🪴 शुभमस्तु !


१३.०७.२०२१◆१२.४५पतनम मार्तण्डस्य।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...