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✍️शब्दकार ©
🐟 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मछली को जब हुआ ज़ुकाम।
जा पहुँची डाक्टर के धाम।।
डाक्टर बोला 'मछली रानी।
बतलाओ निज रोग कहानी।।'
मछली बोली 'मैं बीमार।
खाँसी हुई ज़ुकाम अपार।।
सुई नहीं मुझको लगवानी।
मुझको तो बस औषधि खानी'
'औषधि यही धूप में जाओ।
नदी किनारे लोट लगाओ।।
गहरे जल में नहीं नहाना।
तैर सतह पर पूँछ उठाना।।
जब हो रात किनारे जाना।
उछल-कूद कर रात बिताना।।
दो दिन में होगी नीरोग।
'शुभम' बहुत है इतना योग।।'
🪴 शुभमस्तु !
१३.०७.२०२१◆१२.४५पतनम मार्तण्डस्य।
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