बुधवार, 21 जुलाई 2021

भारत माता -वंदन🌾 🇮🇳 [ गीत ] 🇮🇳


◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

हे भारत  माता !  तुम्हें नमन।

शत बार   तुम्हें वंदन- वंदन।।


माटी का हर कण-कण चंदन

है इसी  धरा  पर   वन नंदन।।

सब   भारतवासी रहें   प्रमन।

करने न पड़ें उर -भाव दमन।।

तुम ही मेरे  जीवन  का  धन ।

हे  भारत माता! तुम्हें  नमन।।


सर्वोच्च हिमालय सरि गंगा।

कोई न   रहे  संतति   नंगा।।

भूखा  न  यहाँ   कोई  सोए।

दुःख से न नयन  कोई धोए।।

सबका हो  माते!निर्मल मन।

हे भारत माता ! तुम्हें नमन।।


सु-समय  बरसे  भू पर पानी।

गोधूम, चना ,यव  हों  धानी।।

दें   शुद्ध   दुग्ध   भैंसें    गायें।

सश्रम  आहार   सभी  पायें।।

मम देश समर्पित हों तन मन।

हे भारत माता!  तुम्हें  नमन।।


 षट  ऋतुएँ  आती - जाती हैं।

कर परिवर्तन  सुख लाती हैं।।

कंचन-से  अपने सुबह-शाम।

जागते कार्य  करते   विराम।।

बहती है शीतल सुखद पवन।

हे भारत माता ! तुम्हें नमन।।


फ़ल, अन्न,शाक,सब बोता है।

फ़िर भी अभाव  में  रोता है।।

देता   सुमनों की  सद  सुगंध।

फिर भी किसान पर लगे बंध!

आजीवन  होवे   दुःख-शमन।

हे भारत माता !  तुम्हें नमन।।


विज्ञान ,कला, साहित्य   बढ़े।

इतिहास नया हर व्यक्ति गढ़े।

प्रतिभा का नहीं पलायन हो।

भारत  माता  का  गायन हो।।

सुंदर स्वदेश सत चारु चमन।

हे भारत  माता!  तुम्हें नमन।।


मानव   में   उपजे   मानवता।

मिट जाय उरों  से  दानवता।।

ढह  जाएँ वर्ण   की   दीवारें।

सब  मनुज -प्रेम को ही धारें।।

हो'शुभम'देश का हर कन कन।

हे  भारत माता ! तुम्हें नमन।।


  🪴शुभमस्तु ! 


२१.०७.२०२१◆१२.३०पतनम मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...