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✍️ शब्दकार©
👑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
अपना दल बदलें चलो,आए निकट चुनाव।
जनता जिसके साथ हो,वही हमारी नाव।।
वही हमारी नाव,विधायक हमको बनना।
जातिवाद का खेल, कनक चाँदी में सनना।।
'शुभम'लक्ष्य है एक, सदा सत्ता का सपना।
हम हों माला माल, जिताऊ दल ही अपना।।
-2-
अपने हित सब जी रहे,परहित की क्या बात
देशभक्त कहते सभी, भले करें हम घात।।
भले करें हम घात, तिजोरी करनी भारी।
अपनों का हित साध,करें चोरी या जारी।।
'शुभम' सदा परिवार,सुखी हो पूरे सपने।
मिले मुफ़्त की क्रीम,भरें कंबल में अपने।।
-3-
अपना तो कहना यही,शिक्षा सब बेकार।
बाहुबली बनना सही,खुलें भाग्य के द्वार।।
खुलें भाग्य के द्वार, हमें बनना है नेता।
दुनिया करे जुझार, सदा लेता ही लेता।।
'शुभम' फेरना सीख,माल सत्ता की जपना।
आश्वासन दे झूठ,बना ले सबको अपना।।
-4-
अपना नाल न ही गढ़ा, किसी एक दल बीच
पाला बदलें देखकर,भले भरी हो कीच।।
भले भरी हो कीच,परमहंसों - सा जीना।
उचित नअनुचित मान,भले विष ही हो पीना
'शुभं'यही सौभाग्य,यही निशि दिन का तपना
आए निकट चुनाव,बदल दल झटपट अपना
-5-
अपना जीवन देशहित,करना हमें निसार।
कर्म अकर्म न देखना, पीनी है पयधार।।
पीनी है पयधार, गधी, ऊंटनी या घोड़ी।
समझें एक समान,मिले ज़्यादा या थोड़ी।।
'शुभम'चलाना देश,हमें निज हित ही खपना।
नेता का यह काम,देश-धन समझें अपना।।
🪴 शुभमस्तु !
१७.०७.२०२१◆७.००पतनम मार्तण्डस्य।
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