गुरुवार, 15 जुलाई 2021

निशा 🌝 [ मुक्तक ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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                      -1-

निशा   का   रंग  श्यामल रूप काला    है,

उधर  नभ  में  किया  शशि  ने उजाला  है,

अजब - सी   होड़  तारों  की निराली  भी,

समा  निशि  का   ये पूनम का निराला   है।


                        -2-

निशा  है  गर्भ  में  वहाँ  जब बीज बढ़ता है,

नहीं  तम - दोष   पर  के  शीश  मढ़ता  है,

जरूरत    है   निशा   की कालिमा   प्यारी,

निशा   के   अंक  में  वही सर्वांग  गढ़ता  है।


                      -3-

निशा से  ही सदा  दिवस  का मान बढ़ता है,

अँधेरों से उजाला 'शुभम'  सम्मान गढ़ता है,

काली निशा की क्रांति का आभास तो जानें,

पसारे पाँव मानव निशा में सेज  चढ़ता है।


                         -4-

निशा आई जगे तारे निशापति साथ में आए, 

प्रिया का साथ प्रेमी को भला कैसे नहीं भाए,

निशा बीती जगे पंक्षी चमन में हँस रहीं कलियाँ

नई प्राची दिशा के अंक में रवि शांत मुस्काए।


                        -5-

निशा के नाम में बसता सदा सुख शांति का घेरा,

करें विश्राम पशु पंक्षी मनुज निज नीड़ में डेरा,

शुभम तुम मत नकारो है निशा शोभन सुहानी भी,

विचरते हैं निशाचर जदपि करते हैं निशा फेरा।


🪴शुभमस्तु !


१५.०७.२०२१◆६.००पतनम मार्तण्डस्य।

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