शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

अपना वतन 🇮🇳 [ गीत ]

 

★★★★★★★★★★★★★★★

✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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मेरे  वतन   की    धूल को।

मेरे  वतन  के    फूल  को।।

मेरा   नमन!  मेरा  नमन!!

मेरा वतन ! अपना वतन!!


हम   वतन    की  संतान हैं।

तुमसे    हमारी    जान  हैं।।

है   विश्व  में   चमका  रतन।

रक्षक बनें कर- कर  जतन।।

मेरा   नमन !   मेरा-  नमन!

मेरा वतन  !  अपना वतन!!


हम   गाँव    नगरों   में   रहें।

अपना   तुम्हें  मन  से कहें।।

गंगा  करे  सब  अघ  शमन।

वन,खेत में खिलता चमन।।

मेरा  नमन  !   मेरा   नमन!

मेरा  वतन !  अपना  वतन!!


इतिहास      गौरवपूर्ण     है।

दर्शन   यहाँ     का   गूढ़ है।।

है   ज्ञान  की  दिपती  तपन।

प्रभुभक्ति का नैत्यिक जपन।

मेरा   नमन !    मेरा   नमन!

मेरा  वतन !  अपना   वतन!!


साहित्य    शुभ    संदेश   है।

रहता  न  उर   में  क्लेश है।।

मजबूत      सारे      संगठन।

रहते   सभी   उर   से प्रमन।।

मेरा     नमन !   मेरा नमन !

मेरा  वतन ! अपना  वतन!!


गंगा   जमुन    की    धार है।

मैदान ,   अचल ,  पठार है।।

धरती   हरित   नीला  गगन।

है सिंधु का उर अति गहन।।

मेरा    नमन !   मेरा   नमन !

मेरा  वतन ! अपना  वतन!!


ऋतुएँ    सहज  आ - जा रहीं।

पावस   सुजल   बरसा  बहीं।।

मधुमास, गर्मी,  शिशिर कन।

हेमंत    प्यारा    शरद  तन।।

मेरा   नमन  !  मेरा   नमन !

मेरा वतन  !   अपना वतन!!


होली ,    दिवाली     पर्व   हैं।

शुभ  दशहरा   मम   गर्व है।।

रहते 'शुभम' हम  सब मगन।

निज काज में रखकर लगन।।

मेरा   नमन  !   मेरा   नमन !

मेरा  वतन ! अपना   वतन!! 


🪴 शुभमस्तु !


३०.०७.२०२१◆१.३० पतनम मार्तण्डस्य।

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