★★★★★★★★★★★★★★★
✍️ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★★★★★
मेरे वतन की धूल को।
मेरे वतन के फूल को।।
मेरा नमन! मेरा नमन!!
मेरा वतन ! अपना वतन!!
हम वतन की संतान हैं।
तुमसे हमारी जान हैं।।
है विश्व में चमका रतन।
रक्षक बनें कर- कर जतन।।
मेरा नमन ! मेरा- नमन!
मेरा वतन ! अपना वतन!!
हम गाँव नगरों में रहें।
अपना तुम्हें मन से कहें।।
गंगा करे सब अघ शमन।
वन,खेत में खिलता चमन।।
मेरा नमन ! मेरा नमन!
मेरा वतन ! अपना वतन!!
इतिहास गौरवपूर्ण है।
दर्शन यहाँ का गूढ़ है।।
है ज्ञान की दिपती तपन।
प्रभुभक्ति का नैत्यिक जपन।
मेरा नमन ! मेरा नमन!
मेरा वतन ! अपना वतन!!
साहित्य शुभ संदेश है।
रहता न उर में क्लेश है।।
मजबूत सारे संगठन।
रहते सभी उर से प्रमन।।
मेरा नमन ! मेरा नमन !
मेरा वतन ! अपना वतन!!
गंगा जमुन की धार है।
मैदान , अचल , पठार है।।
धरती हरित नीला गगन।
है सिंधु का उर अति गहन।।
मेरा नमन ! मेरा नमन !
मेरा वतन ! अपना वतन!!
ऋतुएँ सहज आ - जा रहीं।
पावस सुजल बरसा बहीं।।
मधुमास, गर्मी, शिशिर कन।
हेमंत प्यारा शरद तन।।
मेरा नमन ! मेरा नमन !
मेरा वतन ! अपना वतन!!
होली , दिवाली पर्व हैं।
शुभ दशहरा मम गर्व है।।
रहते 'शुभम' हम सब मगन।
निज काज में रखकर लगन।।
मेरा नमन ! मेरा नमन !
मेरा वतन ! अपना वतन!!
🪴 शुभमस्तु !
३०.०७.२०२१◆१.३० पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें