बुधवार, 14 जुलाई 2021

नारी - नख - शिख ❤️ [ कुंडलिया ]

  

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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                       -1-

गोरे - गोरे पाँव  दो ,रचा अलक्तक  लाल।

एड़ी चिकनी सेब-सी,बजा रहीं नवताल।।

बजा रहीं नवताल,खनकतीं पायल सोहें।

देख  रंग  रतनार, एक पल में मन   मोहें।।

'शुभम'अंगना रूप,देह- अँग कोरे - कोरे।

गजगामिनि  के पाँव, ठुमकते गोरे  - गोरे।।


                        -2-

गोरे - गोरे    पाँव  दो,चिकनी कदली   रान।

अहोभाग्य उसका अहा,देख खिले मुस्कान।।

देख  खिले मुस्कान,क्षीण कटि  धारी नारी।

रचना रची स -काम,खिली ब्रह्मा  की बारी।।

'शुभम'त्रिवलिका मंजु,उदर में कामिनि तोरे।

लगे   त्रिवेणी - धार, अंग सब गोरे  - गोरे।।


                       -3-

चोली  में उत्तुंग कुच, लगते दो  शिव -लिंग।

शक्ति केंद्र विद्युत बहे,धन ऋण के दो विंग।।

धन ऋण  के दो विंग,प्रवाहित अमृत   धारा।

देते  जीवन  दान,काम  रस के शुभ   द्वारा।।

'शुभम'प्रणय का रंग,खेलता प्रियतम होली।

आता फागुन मास,कसमसाती कुच- चोली।

   

                        -4-   

सोहे  काजल नयन में,अधर लाल मुस्कान।

उभरे  लाल  कपोल दो,कुंडल सोहें   कान।।

कुंडल   सोहें  कान, नाक  में नथनी    नाचे।

भ्रमरावलि -  से   केश, माँग सिंदूरी   राचे।।

रातिरानी साक्षात ,'शुभम' जन मन को मोहे।

जागे  देह   अनंग, कामिनी अँगना    सोहे।।


                        -5-

चूड़ी  कंगन  कर लसें,अँगुली में  पुखराज।

पन्ना  कंचन  में  जड़े,सुघर मुद्रिका  साज।।

सुघर मुद्रिका साज, अँगुलियों में बल खाती।

प्रणय-रास रस लीन,प्रिया प्रीतम सँग माती।

'शुभम' हिना का रंग,मंजु कामिनि रस बूड़ी।

गहा  प्रिया का हाथ,बज उठे कंगन  चूड़ी।।


                        -6-

चंदन - सी   महके   तिया,कोरे गोरे   अंग।

सावन आया झूम के,कुच- चोली अति तंग।

कुच-चोली अति तंग, समझ में राज नआए।

खुले स्वतः कुच बंध, पास जब प्रीतम पाए।

'शुभम' काम रति रंग,कर रहे प्रेमिल  वंदन।

उबटन रही न देह,झड़ रहा तन  से  चंदन।।


                   -7-

चलती है गजगामिनी, करती पिय अभिसार।

आँचल लहराती चली,प्रबल हुआ अति मार।

प्रबल हुआ अति मार, रात भादों की काली।

बहता काजल गाल,बही गालों  की लाली।।

'शुभम'महावर लाल,अनल में मानो जलती।

गिरतीं नभ से बूँद,कामिनी मग में  चलती।।


🪴 शुभमस्तु !


१४.०७.२०२१◆४.००पत नम मार्तण्डस्य।


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