शनिवार, 8 जुलाई 2023

खाटु श्याम हैं जयी ● [पञ्चचामर या नाराच छंद]

 294/2023

 

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छंद-विधान:

1.पञ्चचामर एक वर्णिक छंद है।

2.लघु दीर्घ($I)×8=16 वर्ण होते हैं।

3.8+8 वर्ण पर यति होता है।

4.इसमें 2-2 समतुकांत,कुल चार पद होते हैं।

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●©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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                      -1-

अपार शक्ति धीर वीर,खाटु श्याम   हैं  जयी।

सुपूज्य    शीश   मोरवी, सुपूत  साधनामयी।।

कला गए अनेक सीख, कृष्ण मातु  से  सभी।

प्रचण्ड  तीर  तीन शंभु,दत्त चंडि   चाप  भी।।


                        -2-

सवार  अश्व  भीम पौत्र, ज्येष्ठ हैं  घटोत्कची।

सुनाम   बर्बरीक   बाल, शीश पूज्यता  रची।।

सुतीक्ष्ण  तीन बाण धार,दीन नाथ  श्याम  जी।

सहाय  घूँघराल  बाल,द्वार आय    स्वार्थ जी।।


                      -3-

सुनाम श्याम दत्त श्याम,षोडशी कला सभी।

अनंतजीत की कृपा,मिली न थी धरा कभी।।

दयालु कृष्ण आदिदेव, का अशीष   शीश पै।

वज्रांग मारुती सुप्राप्त,राम का   कपीश  पै।।


                      -4-

सुहृद'  नाम   दत्त श्याम, सूर्यवर्च   नाम    से।

विशेष  यक्षराज ख्यात, वीर धीर  श्याम   से।।

दुआर  जो  पुकार  लेय,हार हो   न  आपकी।

सुपूर्ण कामना सभी,न शेष एक   ताप   भी।।


                       -5-

सुधीर वीर  बर्बरीक , आधि - व्याधि रोक दें।

ब्रजेश  मूर्त रूप  श्याम,मुक्ति दान  मोख  दें।।

अधीरता  बढ़ी  सदा,अशांति का  प्रसार  है।

सुशांति दान दें प्रभो,सुभक्ति का  खुमार  है।।


●शुभमस्तु !

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