294/2023
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छंद-विधान:
1.पञ्चचामर एक वर्णिक छंद है।
2.लघु दीर्घ($I)×8=16 वर्ण होते हैं।
3.8+8 वर्ण पर यति होता है।
4.इसमें 2-2 समतुकांत,कुल चार पद होते हैं।
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●©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
अपार शक्ति धीर वीर,खाटु श्याम हैं जयी।
सुपूज्य शीश मोरवी, सुपूत साधनामयी।।
कला गए अनेक सीख, कृष्ण मातु से सभी।
प्रचण्ड तीर तीन शंभु,दत्त चंडि चाप भी।।
-2-
सवार अश्व भीम पौत्र, ज्येष्ठ हैं घटोत्कची।
सुनाम बर्बरीक बाल, शीश पूज्यता रची।।
सुतीक्ष्ण तीन बाण धार,दीन नाथ श्याम जी।
सहाय घूँघराल बाल,द्वार आय स्वार्थ जी।।
-3-
सुनाम श्याम दत्त श्याम,षोडशी कला सभी।
अनंतजीत की कृपा,मिली न थी धरा कभी।।
दयालु कृष्ण आदिदेव, का अशीष शीश पै।
वज्रांग मारुती सुप्राप्त,राम का कपीश पै।।
-4-
सुहृद' नाम दत्त श्याम, सूर्यवर्च नाम से।
विशेष यक्षराज ख्यात, वीर धीर श्याम से।।
दुआर जो पुकार लेय,हार हो न आपकी।
सुपूर्ण कामना सभी,न शेष एक ताप भी।।
-5-
सुधीर वीर बर्बरीक , आधि - व्याधि रोक दें।
ब्रजेश मूर्त रूप श्याम,मुक्ति दान मोख दें।।
अधीरता बढ़ी सदा,अशांति का प्रसार है।
सुशांति दान दें प्रभो,सुभक्ति का खुमार है।।
●शुभमस्तु !
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