गुरुवार, 13 जुलाई 2023

दिया ● [ गीत ]

 303/2023

             

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● ©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सीखा है बस

देना जग को

कहता जगत दिया।


कैसा होता

रंग तमस का

क्षणिक  नहीं  जाना।

खोजा दिन भर

रवि ने तम को

झूठ   कथन   माना।।


आहट पाकर

भाग गया तम

मुड़कर रुख न किया।


गुरु दिखलाते

दीप शिष्य को

तम   को   दूर   हटा।

हुआ उजाला

उर-भ्रम नासा

कुहरा -  धूम   फटा।।


अंतर में बहु

किरणें फैलीं

अमृत  ज्ञान  पिया।


मात -पिता हैं

सम्मुख अपने

दिया   उन्हें    माने।

मिलती उसको

सकल संपदा

लगे  न    इठलाने।।


'शुभम्'  सफल हो

जीवन सुत का

ईश्वर  मान  जिया।।


●शुभमस्तु !


13.07.2023◆8.30 आ०मा०

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