323/2023
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छंद-विधान:
1.24 वर्ण का वर्णिक छंद।
2.आठ सगण सलगा =(II$ ×8).
3.12,12 वर्ण पर यति।प्रत्येक चरण में 24 वर्ण।
4.अंत में समतुकांत अन्त्यानुप्रास।
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●© शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
बरसे घन सावन मास धरा,
अब प्यास बुझी धरती न तपे।
निज आँचल खोलि जु मौन पड़ी,
लगती कर जोरि सु स्याम जपे।।
हरिताभ नए अँखुआ उगते,
सर दादुर वेद पढ़ें मन से।
छत से जलधार पनार चले,
नटती तरुणी पिय वाचन से।।
-2-
पिक मौन नहीं नचि मोर रहे,
वन -बागनु में न पड़े झुलना।
अब पावस धूम मचाइ रही,
तिय नेंक नहीं पिय को भुलना।।
भरि खेत गए सरि ताल सभी,
खग ढोर सुखी नर नारि सुखी।
तरु बेल गईं लिपटाय नई,
पति -बाट निहारि रहीं सुमुखी।।
-3-
सरिता मरजाद तजी अपनी,
बढ़ती चढ़ती नित जाइ रही।
अँचरा धुँधलाइ गए तन के,
अपनी धुन में सुनती न कही।।
बस टेक यही मिलना निधि से,
रुकना - थकना अनजान सदा।
पग चंचल तेज चलें अपगा,
मुड़ के न लखे सरिधार कदा।।
-4-
जमुना बल खाइ चढ़ी इतनी,
बिंदरावन -बाग रलीं गलियाँ।
पद बाँक बिहारिक छुइ लिए,
पुनि लौटि चलीं करतीं रलियाँ।।
उर में इक भाव उगौ जमुना,
पद -पंकज आजु छुएं चलि कें।
हरषाइ रही लहराय चली,
पद -रेणु लई धुलती मलि कें।।
-5-
भुटिया निज केशनु खोलि खड़ी,
सिर पै हरिताभ नई कलगी।
तन शाटिक' मंजु सुकोमल है,
दुलराइ रही मकई फुनगी।।
नव कोमल दुग्ध भरी खिलती,
रदनावलि पीत बुलाइ रही।
नित खेतनु में शुचि लास्य करें,
मधुराधर मोदमई सु-मही।।
● शुभमस्तु !
25.07.2023◆12.30
पतनम मार्तण्डस्य।
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