मंगलवार, 25 जुलाई 2023

तैरें कागज़ -नाव ● [ गीत ]

 22/2023


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●© शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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गिरा खेत में

वर्षा का जल

तैरें कागज़ - नाव।


निकल घरों से

आए बालक

अनगिन खेलें खेल।

आँख मिचौनी

हरियल डंडा

कभी चलाते रेल।।


ऊँच - नीच का

नहीं हृदय में 

जागा मैला भाव।


कागज़ मोड़ा

नाव बनाई

जल तल पर लहराय।

जल प्रवाह के

संग बहे वह

जिधर हवा ले जाय।।


सबको अपनी

नौका खेने 

का उर में अति चाव।


हँसते -खिलते

नाव चलाते

निश्छल मन सह मेल।

किसकी आगे

नाव चलेगी

ईंधन  बिना न तेल।।


जीवन भी ये

कागज़ -नैया

भरें  न  यहाँ  कुभाव।


●शुभमस्तु !


24.07.2023◆11.00प०मा०

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