शनिवार, 22 जुलाई 2023

बरसात ● [गीत ]

 314/2023

               

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● © शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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आया सावन

झूम  - झूम कर 

खुशियों  की बरसात।


खोले आँचल 

धरा पड़ी है

तन में  सुलगी आग।

कौन दिशा से

आए  जलधर

खुल जाएँ तब भाग।।


सूरज ने नित

तपा -तपा कर

खाक किया है गात।


श्यामल बाँहें

श्यामल ही तन

लिया बाँध भुजबंध।

देखा लेश न 

न ही रात -दिन

बना हुआ  घन अंध।।


बेबश धरती

किया समर्पण

हुई साँझ से प्रात।


उगते अंकुर

हरे -हरे नव

तृप्त धरिणि का कण -कण।

मन ही मन में

मुदित मेदिनी

हुई उल्लसित क्षण-क्षण।।


गरज -गरज कर

चकाचौंध कर

खिला सुमन जलजात।


●शुभमस्तु !


19.07.2023◆12.45 पतनम मार्तण्डस्य।


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