बुधवार, 5 जुलाई 2023

ज्योति के गुरु सूरज हैं ● [ गीतिका ]

 287/2023


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●शब्दकार ©

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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पावस   आई    बहते   नाले।

लिए  हाथ  हम  छाते काले।।


लेकर बस्ता  निकले  बालक,

विद्यालय के   खुलते  ताले।


गुरु - पूनम  है  पूजा  कर ले,

गुरु -चरणों में  दीप जला ले।


अनथक चलते राही  पथ में,

पग में   पड़ते   ही   हैं छाले।


गुर्वाज्ञा   का   पालन करना,

सदाचार में निज  को  ढाले।


मात-पिता  अपने गुरु पहले,

हटा तमस  के उलझे  जाले।


'शुभम्'ज्योतिदा गुरु सूरज हैं,

उज्ज्वलता का दीप जला ले।


●शुभमस्तु !


03.07.2023◆9.00आ०मा०

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