मंगलवार, 25 जुलाई 2023

सोमवार सावन के● [ सजल]

 318/2023

 

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●समांत : अटा 

●पदांत : अपदान्त।

● मात्राभार : 12+10=22.

●मात्रा पतन :शून्य।

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● ©शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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तड़ित तड़पती तड़-तड़,अंबर घटा-घटा।

मेघ-गर्जना   गड़-गड़, छाई छैल    छटा।।


शिवालयों   के  घण्टे ,बजते घनन -  घनन,

भक्ति - भाव  के  झंडे,परिसर प्रमन  पटा।


भर  गंगाजल  काँवड़,  लाते भक्त   सभी,

धरते  हैं  पग  बढ़-बढ़, नमः शिवाय  रटा।


युवा,   किशोर, किशोरी,भीड़ हजारों  की,

प्रौढ़,   वृद्ध, नर,  नारी, दर्शन हेतु   डटा।


मनकामेश्वर - पूजा,  करने आये     भक्त,

शिव  से  और  न  दूजा,तन से गात  सटा।


सोमवार  सावन के,मनभावन दिन   देख,

तन-मन  कर  पावन  वे,उर अन्यत्र   हटा।


'शुभम्'   सनातन    प्यारे, भोले   भंडारी,

दानी   अवढर  न्यारे,  खाते आक    गटा।


●शुभमस्तु !


24.07.2023◆6.15 आरोहणं मार्तण्डस्य।

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