326/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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लगें पुस्तकें हमको प्यारी।
ज्ञानदायिनी गुरु हैं न्यारी।।
डाँटे बिना ज्ञान वे देतीं।
नहीं शुल्क मासिक वे लेतीं।।
करवाती हैं सब तैयारी।
लगें पुस्तकें हमको प्यारी।।
सभी समय वे साथी होतीं।
सदा जागतीं कभी न सोतीं।।
नहीं पीठ पर लदतीं भारी।
लगें पुस्तकें हमको प्यारी।।
जब चाहें तब पुस्तक पढ़ते।
नव सोपानों पर हम चढ़ते।।
हमें बनातीं सद - आचारी।
लगें पुस्तकें हमको प्यारी।।
नहीं ऐंठतीं कान हमारे।
लाल न करतीं गाल दुलारे।।
पूछें उनसे कितनी बारी।
लगें पुस्तकें हमको प्यारी।।
'शुभम्'न कहतीं जल्दी जागो।
लाद पीठ पर बस्ता भागो।।
चपत न एक गाल पर मारी।
लगें पुस्तकें हमको प्यारी।।
● शुभमस्तु !
27.07.2023◆7.15आ०मा०
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