मंगलवार, 11 जुलाई 2023

बरसाने की राधिका ● [ दोहा गीतिका ]

 300/2023

 

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● ©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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बरसाने  की   राधिका, नंदगाँव   के   श्याम।

मेरे मन में  आ बसो, करता 'शुभम्'   प्रणाम।।


उमड़ रहे घन व्योम में,गरज-गरज चहुँ ओर,

चपला चमके डर लगे,दृश्य हरित अभिराम।


पिया  गए  परदेश  को,करूँ रात - दिन  बाट,

भीग-भीग   चोली  कसे, नित्य सताए  काम।


जोत रहे हैं खेत को,कृषक सभी   दिन - रात,

बंजर ये  धरती  पड़ी,जपती पिय   को  वाम।


जोते   बिना   न  भूमि   में, बोएं  कैसे  बीज,

भूमिपुत्र     लौटे   नहीं,   भूले कहाँ   ललाम।


ज्यों-ज्यों झरते बिंदु झर, त्यों-त्यों बढ़ती आग

सजन   कहाँ भूले डगर,शून्य देह   का   धाम।


'शुभम्'  इधर  मधुमास है, फूले  तन  में  फूल,

बादल  बन  बरसो कहाँ, सीता  के  प्रभु  राम।


●शुभमस्तु !


11.07.2023◆2.15प०मा०

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