बुधवार, 5 जुलाई 2023

चला डाकिया ● [ गीतिका ]

 288/2023

    

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● ©शब्दकार


● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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चला डाकिया  लेकर  डाक।

डगर  नापता   सीधी  नाक।।


चढ़ा   वाहिनी  दो  चक्रों  की,

छान  रहा   दोपहरी    खाक।


झोले  में    हैं   भरीं   चिट्ठियाँ,

बढ़ा   राह    में   वह  बेबाक।


पत्रावली    बगल   में    दाबे,

चलता  जाता    आगे   ताक।


एक   हाथ   से   हत्था  थामे,

वेला   आई    करना   छाक।


जिसका  होता  पत्र  वहाँ जा,

दे  दरवाजे कर  ठक - ठाक।।


'शुभम्' धर्म  कर्तव्य प्रथम है,

जाता है ज्यों   चलता   चाक।


● शुभमस्तु !


04.07.2023◆9.45आ.मा.

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