मंगलवार, 18 जुलाई 2023

रिमझिम बूँदें ● [ अतुकान्तिका ]

 307/2023

      

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●©शब्दकार 

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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रिमझिम बूँदें

गरम पकौड़ी,

चाय सुड़कते

थोड़ी - थोड़ी,

आई वर्षा रानी।


तन भीगे,

मन रीझे,

 देखी

प्रकृति हरी - भरी ,

कुहू - कुहू बोले

पिक श्यामल

मोर नाचते आँगन।


छम - छम पग में

पायल बजती,

हिलकोरे भरे

नथनिया,

आ जा प्रीतम

झूला झूलें,

पींग बढ़ा री

धनिया।


कजरी और

मल्हारें भूली,

क्या झूला अमराई!

अंग-अंग में 

तड़के चपला,

लेती जब

अँगड़ाई,

बुँदियों की छवि छाई।


'शुभम्' बीज

धरती में उगते,

अंकुर हरित हजार,

कलरव करती

गौरैया पिक

लिपट बेल

 द्रुम प्यार,

आई नवल बहार।


● शुभमस्तु !


13.07.2023◆ 7.30 प०मा०

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