बुधवार, 5 जुलाई 2023

आओ बदरा कारे! ● [ गीत ]

 289/2023

   

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●© शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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घिर - घिर  आओ बदरा कारे।

बुझा  प्यास धरती की प्यारे।।


तनिक उमस अब सही न जाए।

साँस  घुटे  तन  स्वेद  बहाए।।

दिन में  दिखते  हैं  अब  तारे।

घिर- घिर आओ बदरा कारे।।


मेघा   भिगो    चूनरी     मेरी।

करो  न   बरसाने   में   देरी।।

घुल-मिल बरसो रहो न न्यारे।

घिर -घिर आओ बदरा कारे।।


जीव-जंतु   पशु-पक्षी  प्यासे।

सूरज  ने   फेंके    हैं    पासे।।

किरण - जाल के  फंदे  न्यारे।

घिर -घिर आओ बदरा कारे।।


बरसो  हरी   घास  उपजाओ।

हरियाली धरती पर   लाओ।।

क्यों न तपन से   शीघ्र उबारे!

घिर -घिर आओ बदरा कारे।।


'शुभम्' सुनो  प्रार्थना  हमारी।

तुम करुणानिधि के अवतारी।।

भर  - भर नीर  धरा  बरसा रे।

घिर -घिर आओ बदरा कारे।।


● शुभमस्तु !


04.07.2023◆4.15प.मा.

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