गुरुवार, 25 जनवरी 2024

जय श्रीराम ● [ सजल ]

 034/2024

             

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●समांत : आम

● पदांत :अपदांत

●मात्राभार : 16,15

●मात्रा पतन :शून्य

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●©शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

राम-सा      नहीं     दूसरा   नाम।

सुघर  साकेत   अयोध्या    धाम।।


वंदनवार     सजे    अति  मनहर,

स्वागतरत      नर  -  नारी  आम।


जपता    राम   पाप   सब  कटते,

लगता   एक  न    दाम    छदाम।


दिवस    आज    बाईस   जनवरी,

तोरण  सजे   सजे   सब    खाम।


प्राण  -  प्रतिष्ठा     रामलला   की,

आज  हो    रही    दृश्य   ललाम।


घर  -  घर   दीप जलें  भारत   में,

मनहर  हो    अगजग   अभिराम।


वास्तुकला  का   भी क्या  कहना,

तृप्त   न   होते     नयन   अवाम।


'शुभम्' विश्व  की   दृष्टि  इधर  है,

नतमस्तक    जग   करे    प्रणाम।


●शुभमस्तु !


22.01.2024● 6.15आरोहणम्

मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...