028/2024
[रामलला,मंदिर,प्राण-प्रतिष्ठा,सरयू,हर्षोल्लास]
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●© शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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● सब में एक ●
स्वागत करने हम खड़े, रामलला के द्वार।
पुरी अयोध्या में सजा ,नव्य भव्य दरबार।।
रामलला की हो कृपा,चाहत रखते भक्त।
श्रद्धा से नतशीश हम, उर से हैं अनुरक्त।।
मंदिर है श्रीराम का,इस धरती पर भव्य।
पुरी अयोध्या सज रही,दुल्हन-सीअति नव्य।।
पहले मन- मंदिर बना, करें प्रतिष्ठा राम।
पाषाणों को बाद में,करना मनुज प्रणाम।।
प्राण-प्रतिष्ठा के बिना, पाहन ही हैं देव।
मंत्र- सिद्ध जीवन भरें, तब हो साँची सेव।।
प्राण-प्रतिष्ठा जीव की,विधिवत हो सम्पन्न।
तभी राम आशीष दें,कृपा- दान दें अन्न।।
सरयू में आनंद की, उठने लगीं हिलोर।
रामलला-शुभ आगमन, नाच रहे वन मोर।।
मज्जन सरयू में करें, पावन उर अभिषेक।
दर्शन पाएँ राम का, सँग सीता जी नेक।।
भारत हर्षोल्लास में,झूम रहा चहुँ ओर।
दसों दिशाएँ गा रहीं, रामलला मय भोर।।
धर्म सनातन एक है, पर्व दिव्य है आज।
जन-जन हर्षोल्लास में,सजे मनोहर साज।।
● एक में सब ●
सरयू - तट मंदिर बना,रामलला का आज।
प्राण-प्रतिष्ठा लीन हम ,हर्षोल्लास सुसाज।।
●शुभमस्तु !
16.01.2024●10.30प०मा०
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