बुधवार, 31 जनवरी 2024

भ्रष्ट आचरण मंत्र ● [ दोहा गीतिका ]

 040/2024

       

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● शब्दकार

●  डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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भारत  माता  का   करें,हम सब ऊँचा     भाल।

कलयुग  की  विकरालता,का फैला  है  जाल।।


कथनी  मीठी   खाँड़-सी,करनी विष  की  बेल,

भाषण  की  नित  माधुरी,पलटे पल-पल चाल।


सत्तासन     की    दौड़   में,  दौड़ें आँखें     मूँद,

उन्हें   न  चिंता   देश   की,कौवा  बने   मराल।


पले    सपोले   रात -   दिन,  चूस  रहे   हैं   देश,

जागरूक  हम   सब   रहें, गले न उनकी  दाल।


नहीं  चाहते   देश  का,  करना पूर्ण     विकास,

गेह   भरा  हो  स्वर्ण से,  लाल  सेव - से    गाल।


काम   कभी   होता   नहीं, लिए बिना  उत्कोच,

भ्रष्ट   आचरण   मंत्र   है, सत  चरित्र  की  ढाल।


'शुभम्' दिखाने   के  लिए , दाँत और  ही  मीत,

खाने   वाले   और  हैं,  दिखे   न जिनका  बाल।


●शुभमस्तु !


29.01.2024 ●9.30 आ०मा०

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