बुधवार, 17 जनवरी 2024

राजनीति का चोर ● [ गीतिका ]

 24/2024


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●© शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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यहाँ   वहाँ    हर   ओर   लगा है।

राजनीति    का    चोर   लगा है।।


क्या  मंदिर   का  पावन   ऑंगन,

अनायास    बरजोर    लगा    है।


शालाओं    में      छिपकर   बैठा,

दरिया  में    हिलकोर   लगा   है।


बात  न   माने    संतति    अपनी,

घर -  ऑंगन   कमजोर  लगा  है।


 समझ   रहे  कलयुग   को   त्रेता,

काला  रँग  ही    गोर    लगा   है।


पूरब     चले     बताए      पश्चिम,

रोग  बड़ा    घनघोर    लगा    है।


राज  न    इसका    जाने    कोई,

छुओ   जहाँ   वह   छोर  लगा है।


'शुभम्' सियासत   ज़हर  जलेबी,

जब  देखो   तब   भोर   लगा  है।


● शुभमस्तु !


14.01.2024●11.45आ०मा०

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