36/2024
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●© शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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सीताराम का
शुभ आगमन
मंगल मोद मय मम देश।
खिल उठे हैं
उर करोड़ों
देख कर यह दृश्य अद्भुत।
हाथ थामे
गमन प्रभु जी
जानकी का रूप सोहित।।
पीत अंबर
किए धारण
सीता राम का शुभ वेश।
नग्न पद जाते
अभय पथ
हाथ में कोदंड गुरुतर।
पीठ पर तूणीर
बाणों से भरा
सोहे अभयकर।।
मुकुट मस्तक पर
सुशोभित स्वर्ण का
आते जगत के सकलेश।
ऊँचे कँगूरे
महल के हैं
दिख रहे अंतर प्रमन।
सीता पहन
पीली शाटिका
मन से मगन।।
हर्षमय उल्लास
सीतारामागमन
हवा में उड़ रहे सु- केश।
●शुभमस्तु !
23.01.2024●10.00आ०मा०
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