035/2024
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●समांत : आम
● पदांत :अपदांत
●मात्राभार : 16,15
●मात्रा पतन :शून्य
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●©शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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राम-सा नहीं दूसरा नाम।
सुघर साकेत अयोध्या धाम।।
वंदनवार सजे अति मनहर,
स्वागतरत नर - नारी आम।
जपता राम पाप सब कटते,
लगता एक न दाम छदाम।
दिवस आज बाईस जनवरी,
तोरण सजे सजे सब खाम।
प्राण - प्रतिष्ठा रामलला की,
आज हो रही दृश्य ललाम।
घर - घर दीप जलें भारत में,
मनहर हो अगजग अभिराम।
वास्तुकला का भी क्या कहना,
तृप्त न होते नयन अवाम।
'शुभम्' विश्व की दृष्टि इधर है,
नतमस्तक जग करे प्रणाम।
●शुभमस्तु !
22.01.2024● 6.15आरोहणम्
मार्तण्डस्य।
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