गुरुवार, 25 जनवरी 2024

संविधान गणतंत्र का ● [ दोहा ]

 037/2024

    

[संविधान,सरकार,गणतंत्र,सरपंच,राष्ट्र-पताका]

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● © शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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           ●  सब में एक  ●

अंगीकृत  कर  देश ने,संविधान मजबूत।

सुमन  पिरोए माल के,गूँथ एक ही सूत।।

संविधान में   एकता, समता के सिद्धांत।

बना रहे दृढ़ देश को,जनगण रहे न भ्रांत।।


भारत  की सरकार का, है जनतंत्र  स्वरूप।

जनता  जिसको चाहती,चयन करे  वह भूप।।

जब  विपक्ष मजबूत हो,चले सही सरकार।

नहीं  निरंकुशता  बढ़े, खुलें प्रगति के  द्वार।।


दुनिया   में   प्रख्यात  है, भारत का   गणतंत्र।

संविधान-पथ  पर  चले,पढ़ प्रियत्व  के  मंत्र।।

एक   तिरंगा   राष्ट्र    का, है गणतंत्र   महान।

मिलजुल कर रहते सभी,गा जनगण का गान।।


अपने   बलबूते  चुना,  दुनिया  ने सरपंच।

भारत   सारे  विश्व  में, उच्च देश का   मंच।।

पाक चाहता बन सके, सबका वह सरपंच।

लिए  कटोरा  घूमता, पूछ न जग में   रंच।।


राष्ट्र-पताका  देश  की,दुनिया में   सिरमौर।

तीन   रंग   में   झूमती,   टिके न कोई और।।

राष्ट्र-पताका  के   लिए, होम दिए थे  प्राण।

वे  बलिदानी  वीर  थे, किया देश का   त्राण।।

             ● एक में सब ●

संविधान गणतंत्र का,बना विश्व - सरपंच।

राष्ट्र-पताका  झूमती,शुभ सरकार विरंच।।


●शुभमस्तु!


24.01.2024●8.00आरोहणम्

मार्तण्डस्य।

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