033/2024
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● ©शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
राम नाम है महान, नित्य जपें राम गान,
भक्त तेरी आन बान, राम रूप ध्याइए।
पापी जन दिए तार, किए पाप से निवार,
राम हैं महा उदार, उर से लगाइए।।
राम - से ही एक राम, और से न दूजा काम,
राम नाम मात्र धाम, राम क्यों भुलाइए।
कण-कण बीच राम, हिय के नगीच राम,
राम से ही सींच धाम, राम में समाइए।।
-2-
राम का स्वरूप एक, राम की है नेक टेक,
हिय में टटोल देख, खोज - खोज लाईए।
तात - मात बात मान, लिया एक प्रण ठान,
संग जानकी पयान, राम ऐसा चाहिए।।
भीलनी के जूठे बेर, खाए बिना सूक्ष्म देर,
भ्रात प्रिय रहे हेर, ऐसे बन जाइए।
राम - सा है और कौन,शास्त्र या पुराण मौन,
छवि है माधुर्य लौन, राम में समाइए।।
-3-
राम कृष्ण का है देश, पीत गेरुआ है वेश,
भक्ति प्रेम का सँदेश, हिय में बसाइए।
विष्णु - अवतार श्रेष्ठ,कौन लघु कौन ज्येष्ठ,
कौन राम कृष्ण ठेठ, सोच में न लाइए।।
अयोध्या के राजा राम,ब्रजवासी एक श्याम,
युगल हैं पवित्र नाम, कोई एक पाइए।
गोपियों के मध्य एक, अवध - नरेश एक,
ज्ञान-चक्षु खोल देख, राम में समाइए।।
-4-
भक्ति का आगार राम, राम ही औदार्य धाम,
जपें भक्त प्रातः - शाम, राम मन लाइए।
एक ही आदर्श राम, लीलाधर कृष्ण श्याम,
दिव्य रूप अभिराम, और कहाँ जाइए।।
सीता मात राधा रूप, काटें बंध अघ यूप,
खिल उठे भक्ति - धूप, औध पुरी आइए।
लखन भी बलराम, शक्ति के स्वरूप नाम,
कान्हा राम अकाम, राम में समाइए।।
-5-
हिया ये अयोध्या धाम,बसें जहाँ प्रभु राम,
दूर खड़ा रहे काम, चले क्यों न जाइए!
रखें मन एक ध्येय, राम मात्र एक प्रेय,
मिले तुम्हें यह श्रेय, थापना कराइए।।
नेह - सरयू की धार, खोलती विवेक-द्वार,
राम - भक्ति उपहार , उर में बसाइए।
कर्म तेरे सदा नेक, बने नहीं कूप - भेक,
'शुभं' राम - नाम टेक, राम में समाइए।।
● शुभमस्तु !
20.01.2024●12.30प०मा०
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